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27 फ़र॰ 2016

आप बीती -डॉ, ओ,पी.व्यास

              आप बीती
{15 /1 /2016 श्री मकर संक्रान्ति पर अचानक में बेहोश हो गया था, होश आने के बाद  मेने स्वय को अस्पताल में पाया, मुझे इंदौर ले जाया गया, ठीक होने पर मेरे मन के भाव प्रस्तुत हैं।  

वास्तव में होता नहीं, यहाँ पर टाइम पास,
 एस्ट्रोडरफ [ नकली घास ] लगी हुई कैसे खोदें घास । 
प्रात काल यहाँ पर हुआ, और सब कर रहे भजन, 
अभी अभी पी चाय है , और किया मंजन ।

मालूम हमको है नहीं, हम स्वस्थ  हैं या  बीमार,
 सुबह श्याम तो खा रहे डट कर रोटी चार ।
और घूमने जा रहें दूरी, मीलों चार,
 73 के हम हो चुके, बैठे करें विचार ।
स्वस्थ होने के बाद स्वागत 

पर हमको लगता नहीं, इतनी हो गई आयु,
 फिर भी ठीक से साँस लें पूरी भर कर वायु।
अब भी ताक़iत से भरे, पूरे हैं स्नायु, 
आँखों पर चश्मा नहीं उड़ते जैसे  वायु ।

w w f  की मानो कुश्ती हुई थी भाई, 
उसमें पटकी लग गई थोड़ी हमको हाई ।
पर अपने टूटे नहीं कोई हड्डी हाथ, 
 पूरे अंग सलामत अपने पूरे अपने साथ ।

कहते हैं हम रहे थे 10 -12 घंटे बेहोश ,
 मगर हमें कुछ याद नहीं अब है पूरा होश।
बाथ रुम के  लिए हमें डली रही थी नली, 



कुछ भी हमको याद  नहीं कितनी थी वो चली।

लगता है कोई सपना हम सबने देखा साथ, 
इससे ज्यादा क्या कहें भैया अपनी बात ।
सी टी स्केन ,एम आर आई ,एक्स रे, सबकी हो गई  जांच, 
मौत निकट से निकल गई, आई ज़रा ना आंच ।

धन्यवाद प्रभु को कहें धन्यवाद प्रिय बन्धु, 
 सबका एहसान बढ़ गया हुआ एहसान का सिन्धु ।
कैसे अब हम उतारें चढ़ा ऋणों का भार, 
परमात्मा  से प्रार्थना हो कोई ना बीमार।

                       डॉ, ओ. पी व्यास। स्थान -इन्दोर म.प्र.23/ 1 /2016}
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद