[ 353 ]श्लोक क्र [ 42 ]
.. उस विषय रूपिणी हथिनी के , अभिमान गूढ़ से जो उन्मत्त |
वह बहुत अधिक व्याकुल हाथी ,उस हाथी का है नाम चित्त ||...
.भर्तृहरि वैराग्य शतक .
.काव्य भावानुवाद .
.डॉ.ओ.पी.व्यास
उस विषय रूपिणी हथिनी के ,
अभिमान गूढ़ से जो उन्मत्त |
वह बहुत अधिक व्याकुल हाथी ,
उस हाथी का है नाम चित्त ||
हें तात , त्रिलोकी में खोजा ,
स्रष्टि में कोई नहीं आया |
जो चित्त के पागल हाथी को ,
संयम बंधन में बंध पाया ||
श्लोक क्र. [ 42 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ. ओ.पी. व्यास
दि. 6 2 19 97
गुरूवार
.. उस विषय रूपिणी हथिनी के , अभिमान गूढ़ से जो उन्मत्त |
वह बहुत अधिक व्याकुल हाथी ,उस हाथी का है नाम चित्त ||...
.भर्तृहरि वैराग्य शतक .
.काव्य भावानुवाद .
.डॉ.ओ.पी.व्यास
उस विषय रूपिणी हथिनी के ,
अभिमान गूढ़ से जो उन्मत्त |
वह बहुत अधिक व्याकुल हाथी ,
उस हाथी का है नाम चित्त ||
हें तात , त्रिलोकी में खोजा ,
स्रष्टि में कोई नहीं आया |
जो चित्त के पागल हाथी को ,
संयम बंधन में बंध पाया ||
श्लोक क्र. [ 42 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ. ओ.पी. व्यास
दि. 6 2 19 97
गुरूवार