( 428 )
श्री राम चरित मानस .
....के अन्मोल खजाने से बाबा तुलसीदास जी के ,
ज्ञान ,रत्न ,
हिंदी काव्यानुवाद में देखिये ,आनन्द लीजिए ...डॉ.ओ.पी.व्यास
लंका काण्ड ...
श्लोक क्र . ( 1 ) ..
रामम कामारि सेव्यम .. ...
कामारि शिव शंकर से सेवित ,
हैं प्रभु श्री राम ।
जन्म मृत्यु भय हटाता
श्री राम जी का नाम ।।
उस मत्त हाथी काल को,
जो सिंह के हैं समान ।
योगीन्द्र , गुण निधि ,
अजेय हैं , हरें ,हैं अज्ञान ।।
सुर स्वामी , निर्गुण , निर्विकार ,
उनको अनेक प्रणाम ।
अचल भक्ति से , योग दृष्टि से,
मिले है विश्राम ।।
दुष्ट वध को सदा तत्पर,
जिनका रहे धनु वाण ।
जो ब्राह्मणों के,हित से रहते,
कभी ना अन्जान ।।
2
राम कामारि ..
काम देव के शत्रु, शिव से ,
सेव्य हैं श्री राम ।
जन्म ,मरण, भव भय, हारी ,
उन्हीं का है नाम ।|
काल ,कराल, मत्त, हाथी को ,
जो सिंह के, हैं समान ।
हैं योगीन्द्र , ज्ञान गम्य,
गुण निधि, हैं अजेय ।|
निर्गुण , निर्विकार ,अपर ,सुर स्वामी ,
जो भक्त के हैं ध्येय ।
अचल भक्ति, योग दृष्टि से ,
से सदा हैं ज्ञेय ।।
दुष्ट , दुर्जन, वध को,
तत्पर रहते हैं सदैव ।
ब्राह्मण वृन्द ,के ,
जो एक मात्र, हैं देव ।।
(2)..श्लोक ..
शंखेन्द्ववाभमतीव सुंदरतनुम शार्दूलचर्माम्बरम ,काल व्यालकरालभूषणधरम गङ्गा शशांकप्रियम ।
काशीशं कलिकल्मौषधशमनम कल्याण कल्प द्रुमम ,नौमीडयम गिरिजा पतिम गुणनिधिम कंदर्पहम शङ्करम ।।
अर्थ ....
.शंख और चन्द्रमा की सी कांति के अत्यंत सुंदर शरीर वाले , व्याघ्रचर्म के वस्त्र वाले , काल के समान ( अथवा काले रंग के ) भयानक सर्पों का भूषण धारण करने वाले ,गङ्गा और चन्द्रमा के प्रेमी , काशी पति , कलियुग के पाप समूह का नाश करने वाले , कल्याण के कल्प वृक्ष , गुणों के निधान और कामदेव को भस्म करने वाले पार्वती पति वन्दनीय श्री शंकर जी को मैं नमस्कार करता हूँ ।
*************************
( 2 ) हिंदी काव्यानुवाद ..
चन्द्रमा और शंख की ,
सी कांति से सुंदर ।
वस्त्र पहिनें , व्याघ्र चर्म,के,
हैं प्रिय शंकर ।।
काल सम, विकराल, भूषण ,
सर्प के अंग धर ।
चन्द्रमा , गंगा , दोंनों ही,
जिनको हैं रुचि कर ।।
काशी पति, हैं ,वे,
कलि के ,जो ,पाप भयंकर ।
क्षण में उनको ,नष्ट ,कर,
देते , मेरे शंकर ||
कल्प वृक्ष, कल्याण के ,
गुणों के वे ,निधान ।
काम को ,क्षण में करें ,
जो भस्म, कृपा निधान ।|
पार्वती पति, वन्दनीय हैं ,
जो हैं अति महान ।
उन ,शिव शंकर ,को ,
,कोटि कोटि प्रणाम ।।
[ डॉ.ओ.पी.व्यास नई सड़क गुना म.प्र.भारत }
श्री राम चरित मानस .
....के अन्मोल खजाने से बाबा तुलसीदास जी के ,
ज्ञान ,रत्न ,
हिंदी काव्यानुवाद में देखिये ,आनन्द लीजिए ...डॉ.ओ.पी.व्यास
लंका काण्ड ...
श्लोक क्र . ( 1 ) ..
रामम कामारि सेव्यम .. ...
कामारि शिव शंकर से सेवित ,
हैं प्रभु श्री राम ।
जन्म मृत्यु भय हटाता
श्री राम जी का नाम ।।
उस मत्त हाथी काल को,
जो सिंह के हैं समान ।
योगीन्द्र , गुण निधि ,
अजेय हैं , हरें ,हैं अज्ञान ।।
सुर स्वामी , निर्गुण , निर्विकार ,
उनको अनेक प्रणाम ।
अचल भक्ति से , योग दृष्टि से,
मिले है विश्राम ।।
दुष्ट वध को सदा तत्पर,
जिनका रहे धनु वाण ।
जो ब्राह्मणों के,हित से रहते,
कभी ना अन्जान ।।
2
राम कामारि ..
काम देव के शत्रु, शिव से ,
सेव्य हैं श्री राम ।
जन्म ,मरण, भव भय, हारी ,
उन्हीं का है नाम ।|
काल ,कराल, मत्त, हाथी को ,
जो सिंह के, हैं समान ।
हैं योगीन्द्र , ज्ञान गम्य,
गुण निधि, हैं अजेय ।|
निर्गुण , निर्विकार ,अपर ,सुर स्वामी ,
जो भक्त के हैं ध्येय ।
अचल भक्ति, योग दृष्टि से ,
से सदा हैं ज्ञेय ।।
दुष्ट , दुर्जन, वध को,
तत्पर रहते हैं सदैव ।
ब्राह्मण वृन्द ,के ,
जो एक मात्र, हैं देव ।।
(2)..श्लोक ..
शंखेन्द्ववाभमतीव सुंदरतनुम शार्दूलचर्माम्बरम ,काल व्यालकरालभूषणधरम गङ्गा शशांकप्रियम ।
काशीशं कलिकल्मौषधशमनम कल्याण कल्प द्रुमम ,नौमीडयम गिरिजा पतिम गुणनिधिम कंदर्पहम शङ्करम ।।
अर्थ ....
.शंख और चन्द्रमा की सी कांति के अत्यंत सुंदर शरीर वाले , व्याघ्रचर्म के वस्त्र वाले , काल के समान ( अथवा काले रंग के ) भयानक सर्पों का भूषण धारण करने वाले ,गङ्गा और चन्द्रमा के प्रेमी , काशी पति , कलियुग के पाप समूह का नाश करने वाले , कल्याण के कल्प वृक्ष , गुणों के निधान और कामदेव को भस्म करने वाले पार्वती पति वन्दनीय श्री शंकर जी को मैं नमस्कार करता हूँ ।
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( 2 ) हिंदी काव्यानुवाद ..
चन्द्रमा और शंख की ,
सी कांति से सुंदर ।
वस्त्र पहिनें , व्याघ्र चर्म,के,
हैं प्रिय शंकर ।।
काल सम, विकराल, भूषण ,
सर्प के अंग धर ।
चन्द्रमा , गंगा , दोंनों ही,
जिनको हैं रुचि कर ।।
काशी पति, हैं ,वे,
कलि के ,जो ,पाप भयंकर ।
क्षण में उनको ,नष्ट ,कर,
देते , मेरे शंकर ||
कल्प वृक्ष, कल्याण के ,
गुणों के वे ,निधान ।
काम को ,क्षण में करें ,
जो भस्म, कृपा निधान ।|
पार्वती पति, वन्दनीय हैं ,
जो हैं अति महान ।
उन ,शिव शंकर ,को ,
,कोटि कोटि प्रणाम ।।
[ डॉ.ओ.पी.व्यास नई सड़क गुना म.प्र.भारत }
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