आयुर्वेद .के अत्यंत उपयोगी
हानि रहित चूर्ण ..उदर रोग में -
[ (427)..नोट ..डाई बिटीज वाले शहद ना लें , सितोपलादि ,तालीसादि में ,अविपत्तिकर चूर्ण में मिश्री है ,जो डाईबिटीज में हानिकारक है।]

हानि रहित चूर्ण ..उदर रोग में -
- हिंगवष्टक चूर्ण - . पाचक है खाने के साथ या बाद 1 या 2 चम्मच घी या पानी से लें ।
- लवण भास्कर चूर्ण - .दीपन है भूख बढ़ाता है ।खाने के बाद छाछ या पानी से दो समय लें ।
- अविपत्तिकर चूर्ण - पेट की जलन , एसीडिटी हटाती है ।खाने के बाद 1से 2 चम्मच पानी या दूध से लें।
- पंच सकार चूर्ण - .कब्ज में रात को सोते समय 1 से 2 चम्मच गर्म या ठंडे पानी से लें ।
- तालिसादि चूर्ण - .खांसी ,ज़ुकाम,सरदी में.. 1 से 2 चम्मच शहद, चाय या पानी से लें ।
- सितोपलादि चूर्ण - .कमज़ोरी, केल्शियम की कमी में, चक्कर ,घबराहट में शहद, दूध या पानी से लें ।
- त्रिफला चूर्ण - रात को 1 से 2 चम्मच गर्म या ठंडे पानी से लें।..यह कब्ज ,कोलेस्ट्रॉल ,मोटापा दूर करता है।
[ (427)..नोट ..डाई बिटीज वाले शहद ना लें , सितोपलादि ,तालीसादि में ,अविपत्तिकर चूर्ण में मिश्री है ,जो डाईबिटीज में हानिकारक है।]
