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कल तक , जौ ,अन्न आदि की मात्र अंजलि ,
जो मांग रहे थे भीख |
आज वही हो गये ,धनिक , समझते ,
धरा घांस की सींक ||
आदि वस्तु की निश्चय ही ,
होती नहीं है कोई अवस्था |
कब हो कौन धनिक या निर्धन ,
प्रभु की अद्भुत व्यवस्था ||
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कल तक , जौ ,अन्न आदि की मात्र अंजलि ,
जो मांग रहे थे भीख |
आज वही हो गये ,धनिक , समझते ,
धरा घांस की सींक ||
आदि वस्तु की निश्चय ही ,
होती नहीं है कोई अवस्था |
कब हो कौन धनिक या निर्धन ,
प्रभु की अद्भुत व्यवस्था ||
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