हे रावण तुम कहाँ मरे हो ।
अमर हुए शिव का वर पाकर, शिव तांडव कर, कर गुजरे हो॥
हे रावण तुम कहाँ मरे हो॥
कल देखी पटना की घटना, भीड़ काहे चाहे ना डटना ॥
तुम क्या जले, शुरू हुई छटना, जब भगदड हुई कौन बरे* हो ?
हे रावण तुम कहाँ मरे हो॥
क्योंकि अनुशासन ना सीखा, भौतिक रावण सब को दीखा ॥
असली रावण हंसा और चीखा, उस असली से कहाँ डरे हो ।
हे रावण तुम कहाँ मरे हो॥
ज्ञानी समझा समझा हारे, हर एक साल जलाए बारे ॥
असली रावण गए सँभारे, पर बुद्धि में भरे कचरे हो।
[डॉ. ओ .पी .व्यास गुना म.प्र .]
*जले हो,
[ विजया दशमी 5-10-2014 शनिवार ]