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2 अक्तू॰ 2014

हे मोदी जी सच बतलाओ क्या कोई अवतार हो । .....डॉ.ओ.पी .व्यास गुना म .प्र .

हे मोदी जी सच बतलाओ ......
हे मोदी जी सच बतलाओ क्या कोई अवतार हो ?
आए हो  धरती  का करने  शायद  पुनुरुद्धार हो ।।
साधारण शब्दों में कहते आप जिसे व्यापार हो ।
सब को उसी में भला दिख रहा अपनी साज सँभार हो॥
जन जन के हृदयों के झंकृत कर देते तुम तार हो ।
पिछले कई कई आलोचक भी बंनते दिख रहे यार हो ।।
तुम तो कोई परम शक्ति हो बडी कोई सरकार हो ।

पेड़ों को गिनने से हमें क्या आमों की दरकार हो ॥
अब कान खोल कर सुनो मोदी जी हमें चाहिए चार हो ।
यहाँ भी देखा वहाँ भी देखा। देखा बार हजार हो ॥
निर्गुण ब्रह्म प्रकट हुए हैं आज हुए साकार हो ।
हम को अब तो चैन कहाँ है सो भेजें तुम को तार हो ॥
देश की सेवा में हैं समर्पित दूर आपकी नार हो ।
जान न पाया कोई महिमा तुमरी बड़ी अपार हो ॥
नज़र किसी की ना लगे तुम को रख दी राई उसार हो ।
देश में घोर समस्याओं के कचरों से अंबार हो ।।
कुछ लोगों ने ब्लेक मनी के डाल के रखे अचार हो ।
भ्रष्टाचारी कुछ लोगों से देश हुआ बीमार हो ।।
सब हिल मिल कर करें उन्नति काहे करते रार हो ।
चाहे राहुल चाहे सोनिया चाहे केजरीवार हो ॥

करें देश की सब जन सेवा कहने का यह सार हो ।
जाग उठे अब मेरा भारत अब जन जन में प्यार हो ॥
माँ का कर्ज़ चुकाएं सब जन ना अब अधिक उधार हो ।
पीड़ित पृकृति ना पर्यावरण हो ना उसकी करुण पुकार हो ॥
हर एक हाथ को काम मिले अब सब को रोजगार हो ।
  रिसाइकल इंडस्ट्री होवें सब के पास में कार हो ॥
 जिसे देखिये वही  प्रशंषक जुड़े हृदय के तार हो ।
स्वच्छ देश को आज कर रहे सब को रहे बुहार हो ॥


डॉ.ओ. पी. व्यास गुना म.प्र. 2अक्टूब्रर 2014 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद