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10 अग॰ 2014

जिम्मेदारी उसी पे आती |


        जिम्मेदारी उसी पे आती ....कविता .

जिम्मेदारी उसी पे आती, जो हो जिम्मेदार| 
चलते हुए बैल के पुठ्ठे पर, घुसती है आर ||
जिस घोड़े पर करें सबारी, वो  सहता है मार|
धरती वही तो खोदी जाती, जो सहती है भार||
जिस को सब कहते गृह लक्ष्मी, वो हर दम बीमार|
यही रीति सारी दुनिया की, कोई देखे ना आधार|| 
सभी लोग मेहराबें देखें, सब मतलब के यार|
जिम्मेदारी उसी पे आती, जो हो जिम्मेदार|

[डॉ . ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]



भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद