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5 अग॰ 2014

तुलसी ने भारत भू पर ....कविता ...डॉ. ओ.पी व्यास

      तुलसी ने भारत भू पर था वह अलख जगाया /

                    [डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]

तुलसी    ने भारत भू पर ,था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
                                 [ १ ]
            वासना   में  अंधे  हो  कर , शव  को  नौका  मान ली /
            सर्प  रज्जू  भ्रम  हुआ , पर  प्रिय मिलन की ठान ली //
            पाने को क्या निकले तुलसी ,उस अंधियारी रजनी से  /
             ऋषी मुनि जिसको तप करते ,पाया अपनी सजनी से  //
अस्थि  चर्म  का  संदेसा , मानस पर ऐंसा छाया /
तुलसी ने  भारत  भू पर  था वह अलख  जगाया //
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
                             [ २ ]
          दे  दिए   क्या  रत्न  तुमने  हमको  ऐ  रत्नावली /
         मानस , विनय ,कावितावली ,दोहावली ,गीतावली //
         राम लला न: छु ,हनुमान बाहुक अरु बजरंग बली/
 कितने , कितने  दुर्लभ  ग्रन्थों  की  सौगात  मिली //

सभी  समस्याओं का हल सबने तुलसी दास से पाया /
रात्रि काल में मिला संदेसा , तुलसी शशि कहलाया //
तुलसी ने भारत भू पर  , था   वह   अलख जगाया /
मानस  सा  अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
                             [ ३]
भाई का भाई के प्रति ,व्यवहार सिखाया /
राजा प्रजा की मर्यादा का ,पाठ पढ़ाया //
भक्त और भगवान के मतलब को समझाया /
पति पत्नी का रिश्ता ,हमें समझ में आया //

मर्यादा पुरुषोत्तम की झांकी दिखलाई ,
जन जन में श्री राम भक्ति का चाव बढाया /
हर एक व्यक्ति ने खुद को प्रभु के सम्मुख पाया //

तुलसी ने भारत भू पर था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ , तुलसी से हमने पाया //
                     [ ४ ]
श्री राम प्रभु ही शायद ,तुलसी बन कर जग में आये /
निर्बल जन जन को ,बजरंग बली को  साथ में लाये //
सोया भारत  जाग उठा और  तुलसी   जन  जन  भाये /
रामायण  में  सभी   प्रश्न  के ,  खोजे   गये    उपाए //

इसी लिए यह राम चरित मानस जन जन को भाया /
तुलसी ने भारत भू पर , था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
                          [ ५ ]
८४   के     चक्र     व्यूह   से     कैंसे   हो   छुटकारा /
लोक   और   पर लोक   की   आखिर छूटे कैसे कारा //
जन जन दुखी समस्याओं से, है निसि दिन का मारा /
मार्ग खोजते  थका  बुझा  प्राणी , पग  पग पर हारा //

मानस में सबका इलाज , हर एक व्यक्ति ने पाया /

तुलसी ने भारत भू  पर  था  वह  अलख  जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ तुलसी से हमने पाया //

        [ डॉ. ओ. पी . व्यास गुना म. प्र .]
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