[डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]
तुलसी ने भारत भू पर ,था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
[ १ ]
वासना में अंधे हो कर , शव को नौका मान ली /
सर्प रज्जू भ्रम हुआ , पर प्रिय मिलन की ठान ली //
पाने को क्या निकले तुलसी ,उस अंधियारी रजनी से /
ऋषी मुनि जिसको तप करते ,पाया अपनी सजनी से //
अस्थि चर्म का संदेसा , मानस पर ऐंसा छाया /
तुलसी ने भारत भू पर था वह अलख जगाया //
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
[ २ ]
दे दिए क्या रत्न तुमने हमको ऐ रत्नावली /
मानस , विनय ,कावितावली ,दोहावली ,गीतावली //
राम लला न: छु ,हनुमान बाहुक अरु बजरंग बली/
कितने , कितने दुर्लभ ग्रन्थों की सौगात मिली //
सभी समस्याओं का हल सबने तुलसी दास से पाया /
रात्रि काल में मिला संदेसा , तुलसी शशि कहलाया //
तुलसी ने भारत भू पर , था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
[ ३]
भाई का भाई के प्रति ,व्यवहार सिखाया /
राजा प्रजा की मर्यादा का ,पाठ पढ़ाया //
भक्त और भगवान के मतलब को समझाया /
पति पत्नी का रिश्ता ,हमें समझ में आया //
मर्यादा पुरुषोत्तम की झांकी दिखलाई ,
जन जन में श्री राम भक्ति का चाव बढाया /
हर एक व्यक्ति ने खुद को प्रभु के सम्मुख पाया //
तुलसी ने भारत भू पर था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ , तुलसी से हमने पाया //
[ ४ ]
श्री राम प्रभु ही शायद ,तुलसी बन कर जग में आये /
निर्बल जन जन को ,बजरंग बली को साथ में लाये //
सोया भारत जाग उठा और तुलसी जन जन भाये /
रामायण में सभी प्रश्न के , खोजे गये उपाए //
इसी लिए यह राम चरित मानस जन जन को भाया /
तुलसी ने भारत भू पर , था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ ,तुलसी से हमने पाया //
[ ५ ]
८४ के चक्र व्यूह से कैंसे हो छुटकारा /
लोक और पर लोक की आखिर छूटे कैसे कारा //
जन जन दुखी समस्याओं से, है निसि दिन का मारा /
मार्ग खोजते थका बुझा प्राणी , पग पग पर हारा //
मानस में सबका इलाज , हर एक व्यक्ति ने पाया /
तुलसी ने भारत भू पर था वह अलख जगाया /
मानस सा अन्मोल ग्रन्थ तुलसी से हमने पाया //
[ डॉ. ओ. पी . व्यास गुना म. प्र .]
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