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19 जुल॰ 2014

जलेबी और कुण्डली...हास्य कुण्डली...डॉ.ओ.पी.व्यास

हास्य कुण्डली
जलेबी और कुण्डली

[डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]

जलेबी और कुण्डली , में नहीं है कुछ भी फर्क।
दोनों में ही  होती मिठास , और प्रेम का अर्क ॥
और प्रेम का अर्क ,दोंनों हैं ,राउंड ,राउंड स्टॉप ।
एक जीभ से ,एक कान से, देती स्वाद है टॉप॥
कह कवि ओ.पी.व्यास ,मगर रोगी और ऐबी ।
उनको कड़वी लगे, कुण्डली ,और जलेबी॥
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19/7/2014   शनिवार 
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद