हास्य कुण्डली
जलेबी और कुण्डली
[डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]
जलेबी और कुण्डली
[डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]
जलेबी और कुण्डली , में नहीं है कुछ भी फर्क।
दोनों में ही होती मिठास , और प्रेम का अर्क ॥
और प्रेम का अर्क ,दोंनों हैं ,राउंड ,राउंड स्टॉप ।
एक जीभ से ,एक कान से, देती स्वाद है टॉप॥
कह कवि ओ.पी.व्यास ,मगर रोगी और ऐबी ।
उनको कड़वी लगे, कुण्डली ,और जलेबी॥
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19/7/2014 शनिवार
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