गीत ....
हे सर्व द्रष्टा भगवन , यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,यह कामना करें ..
[ १ ]
सुंदर ये स्रष्टि तेरी ,
जंगल ये घाटियाँ .
फूलों से लदे उपवन ,
पर्वत ये वादियाँ ..
कल कल निनाद करतीं .
सरिताएं ये सुहावन .
ये सिन्धु चाँद तारे .
ये सूर्य अति पावन ..
शत वर्ष तक मैं देखूं ,
यह भावना करें .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,
यह कामना करें ..
[ २ ]
कोयल की मधुर तानें ,
विहंगों के मधुर कलरव .
अन्मोल गीत सुंदर ,
संगीत के ये अनुभव ..
वो पेंजनी की छुम छुम ,
वंशी की मधुर तानें .
शत वर्ष तक सुनें हम ,
शत वर्ष तुम्हें जानें ..
शत वर्ष नाथ तेरी ,
यह वन्दना करें .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,
यह कामना करें ..
[ ३ ]
सौ वर्ष प्रभु बोलें ,
गुण गान करें तेरा .
शत शरद तक हे भगवन ,
ना हो ,दीन भाव मेरा ..
करते हैं प्रार्थना ये
हम पुन: पुन: भगवन .
शत वर्ष तक निरोगी ,
होवे हमारा जीवन ..
शत वर्ष प्रभु तेरी ,
हम आराधना करें .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,
यह कामना करें ..
[ ४ ]
बार बार हे प्रभु ,
बात ये कहूं मैं .
जब तक जिऊँ कभी भी ,
दीन ना रहूँ मैं ..
कभी दीनता का भगवन ,
नहीं सामना करूं .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करूं .
शत वर्ष शरद जीऊँ ,
यह कामना करूं ..
........................................
11 .8 . 1998 मंगलवार
..................................
यह गीत निम्न वेद मंत्र का भावानुवाद है ...
ॐ तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत .
पश्येम शरद: शतं , जीवेम शरद: शत
श्रणुयाम शरद: शतं ,प्रब्रवाम शरद:
शतमदीना: स्याम शरद: शतं भूयश्चशरद: शतात ..
..४..य .३६ . २४ ..
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हे सर्व द्रष्टा भगवन , यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,यह कामना करें ..
[ १ ]
सुंदर ये स्रष्टि तेरी ,
जंगल ये घाटियाँ .
फूलों से लदे उपवन ,
पर्वत ये वादियाँ ..
कल कल निनाद करतीं .
सरिताएं ये सुहावन .
ये सिन्धु चाँद तारे .
ये सूर्य अति पावन ..
शत वर्ष तक मैं देखूं ,
यह भावना करें .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,
यह कामना करें ..
[ २ ]
कोयल की मधुर तानें ,
विहंगों के मधुर कलरव .
अन्मोल गीत सुंदर ,
संगीत के ये अनुभव ..
वो पेंजनी की छुम छुम ,
वंशी की मधुर तानें .
शत वर्ष तक सुनें हम ,
शत वर्ष तुम्हें जानें ..
शत वर्ष नाथ तेरी ,
यह वन्दना करें .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,
यह कामना करें ..
[ ३ ]
सौ वर्ष प्रभु बोलें ,
गुण गान करें तेरा .
शत शरद तक हे भगवन ,
ना हो ,दीन भाव मेरा ..
करते हैं प्रार्थना ये
हम पुन: पुन: भगवन .
शत वर्ष तक निरोगी ,
होवे हमारा जीवन ..
शत वर्ष प्रभु तेरी ,
हम आराधना करें .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करें .
शत वर्ष शरद जीवें ,
यह कामना करें ..
[ ४ ]
बार बार हे प्रभु ,
बात ये कहूं मैं .
जब तक जिऊँ कभी भी ,
दीन ना रहूँ मैं ..
कभी दीनता का भगवन ,
नहीं सामना करूं .
हे सर्व द्रष्टा भगवन ,
यह प्रार्थना करूं .
शत वर्ष शरद जीऊँ ,
यह कामना करूं ..
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11 .8 . 1998 मंगलवार
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यह गीत निम्न वेद मंत्र का भावानुवाद है ...
ॐ तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत .
पश्येम शरद: शतं , जीवेम शरद: शत
श्रणुयाम शरद: शतं ,प्रब्रवाम शरद:
शतमदीना: स्याम शरद: शतं भूयश्चशरद: शतात ..
..४..य .३६ . २४ ..
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............................................................डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.