डॉ . ओ . पी . व्यास गुना म . प्र |
हार्दिक काव्यांजलि
वाह सुशील, चले कितने मील,
यात्रा में दी ना तनिक ढील ॥ औदीच्य बंधू ,भव सिन्धु में,
समस्या की सुरसा थी रही लील॥
आर्थिक संकट से औदीच्य बन्धु,
भांति सुदामा था जलील॥
मिल गये कृष्ण भांति सुशील ,
हो गई हो स्वीकृत ज्यों अपील ॥
हिट हुई फिल्म वो पिटी फ्लॉप ,
हर जगह शान से चली रील ॥
अब औदीच्य बंधू हर बंधू के ,
मानस को होने लगा फील॥
अब कहाँ रहा निर्धन, दुर्बल ,
मिल गया जब ताक़त वर वकील॥
वाह सुशील चले कितने मील,
यात्रा में दी ना तनिक ढील॥