11॰ 1 . 2014 शनिवार
श्रीमति उमा बहिन जी , साक्षात , थीं देवी की मूर्ति।
जिनकी शायद कोई भी ॰ कर ना सकेगा पूर्ति ।।
सभी जनों को सदा ही देतीं थीं स्फूर्ति ।
सदा सर्वदा जगत में अक्षय रहेगी कीर्ति ॥
2
उमा शशि का भाग ही तो होता है चन्द्र ।
उमा और शिव के घर आया ले कर परमानंद ॥
महाकाल की इस नागरी में जिसे कहें उज्जैन ।
सब को ही सब कुछ दिया जीवन में सुख चैन ॥
3
शाश्वत जीवन का नियम सब का है गंतव्य ।
जीवन को सुरभित करें उसे बनाएँ भव्य ॥
प्रश्न नहीं कितना जीए , कैसे जिये ये खास ।
आज उमा धन दे गईं , जो हम सब के पास ॥
4
इसीलिए एकादशी का यह सुंदर योग ।
अति दुर्लभ है जगत में , मानव बन उपयोग ॥
माँ गायत्री की कृपा , सब पर रहे असीम ।
5
सद्गति आत्मा को मिले , मिले हमें सुख शांति ।
परमात्मा से मिलन की , हो जन जन में क्रान्ति ॥
डॉ . ओ .पी.व्यास उज्जैन ....
श्रीमति उमा शशि वशिष्ठ का स्वर्ग वास हो गया
,,,ओम शांति
11... 1... 2014