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15 जन॰ 2014

स्व॰ श्रीमति उमा शशि वशिष्ठ को हार्दिक काव्यांजलि.

11॰ 1 . 2014 शनिवार
श्रीमति उमा शशि वशिष्ठ को हार्दिक काव्यांजली....
1
श्रीमति उमा बहिन जी , साक्षात , थीं देवी की मूर्ति।

जिनकी शायद कोई भी ॰ कर ना सकेगा पूर्ति ।।
सभी जनों को सदा ही देतीं थीं स्फूर्ति ।

सदा सर्वदा जगत में अक्षय रहेगी कीर्ति ॥ 

2

उमा शशि का भाग ही तो होता है चन्द्र ।

उमा और शिव के घर आया ले कर परमानंद ॥

महाकाल की इस नागरी में जिसे कहें उज्जैन ।

सब को ही सब कुछ दिया जीवन में सुख चैन ॥

3
शाश्वत जीवन का नियम सब का है गंतव्य ।

जीवन को सुरभित करें उसे बनाएँ भव्य ॥

प्रश्न नहीं कितना जीए , कैसे जिये ये खास ।

आज उमा धन दे गईं , जो हम सब के पास ॥

4

इसीलिए एकादशी का यह सुंदर योग ।

अति दुर्लभ है जगत में , मानव बन उपयोग ॥

माँ गायत्री की कृपा , सब पर रहे असीम ।

हम सब की यह प्रार्थना , यह ही चले मुहिम ॥

5

सद्गति आत्मा को मिले , मिले हमें सुख शांति ।

परमात्मा से मिलन की , हो जन जन में क्रान्ति ॥

डॉ . ओ .पी.व्यास उज्जैन ....
 श्रीमति उमा शशि वशिष्ठ का स्वर्ग वास हो गया 
,,,ओम शांति 
11... 1... 2014


भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद