हास्य व्यंग्य कविता .....बाबाजू ....
बाबा जू ओ बाबा जू
और इन्हें भेज रहे बा बाजू ॥
जोग और प्राणायाम को करके
आप बना रहे निज बाजू ॥
आप तो निस्प्रही सन्यासी ,
कौन भतीजो काकाजू ॥
जिनने तुम्हें तिहाड़ भिजाये ,
उन्हें खबाओ का काजू ॥
कारे धन को श्वेत चाहते ,
मन कारो का से मांजू ।
बाबा जू ओ बाबा जू ॥
आप तो आ रहे जा बाजू ।
और इन्हें भेज रहे बा बाजू ॥
डॉ .ओ . पी . व्यास