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15 जन॰ 2014

परिवर्तन ....हास्य व्यंग्य कुंडली ..........डॉ .ओ .पी .व्यास

             
हास्य व्यंग्य कुंडली
 परिवर्तन 

परिवर्तन के पेड़ पर, आए अभी हैं बौर । 
फल लगने में लगेंगे, दिन
थोड़े से और॥ 
दिन थोड़े से और, काम धीरज से लेंगे। 
प्रसव हुआ है अभी ,शिशु को बढ़ने दीजे॥ 
कह कवि ओ .पी .व्यास वही चमचे वही बर्तन। 
इन्हें हटाये बिना होगा कैसे परिवर्तन॥ 
डॉ .ओ .पी .व्यास

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद