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26 जन॰ 2014

भर्तृहरि शतक ....केवल ब्रह्म का ही चिंतन करना चाहिए

भर्तृहरी शतक ...काव्यानुवाद

केवल ब्रह्म का ही चिंतन करना चाहिए। 

चिंतन से उसके लाभ क्या जो वस्तु मिथ्या रूप है। 

चिंतन करो उस ब्रह्म का , जो परम ज्योति स्वरूप है॥ 

वह ब्रह्म अक्षर है अजर है और परम अनूप है॥
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अंत में यह भुवन भोग , इस ब्रह्म में ही लीन हो,

आश्रित सभी हैं ब्रह्म के , चाहे कृपण आधीन हों ॥ 

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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद