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25 जन॰ 2014

शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया।


शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया, 
कोटि कर बलिदान कठिनाई से पाया।

क़ैद थी सदिओं से यह संस्कृति हमारी,
पाँव् में बेडी खड्ग ग्रीवा पे भारी॥ 

आतताई ने सभी था लूट डाला ,
और पिलवाई अनेकों बार हाला ॥ 

नोंच डाले प्रष्ठ भी इतिहास के,
सैंकड़ों वर्षों से हम सब दास थे ॥ 

घोर तम में ज्योति का यह पुन्ज आया,
शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया॥

कोटि कर बलिदान कठिनाई से पाया,
शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया॥ 

दासता का गहन तम साम्राज्य छाया,
सूझता ना था स्वयं का भी जब साया॥ 

कुछ के दिल में कौंधती थी दामिनी तब,
कुछ प्रकाशित हुई गुलामी दामिनी तब। 

गोलिओं के मह से जिनको ना भय था,
निर्भीक हो कर मार्ग जिनने किया तय था॥ 

उन सभी के त्याग ने यह दिन दिखाया ,
शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया॥ 

कोटि कर बलिदान कठिनाई से पाया,
शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया॥ 

आज भी आज़ाद क्या हम हो सके हैं, 
डाढ मेंहगे अजगरों के क्या रुके हैं॥  

क्या हमारे झोंपड़े खुशहाल हैं सब,
कट गए क्या निर्धनों के जाल हैं सब॥ 

क्या नहीं असमानता फैली यहाँ है,
भूख है मोजूद और रोटी कहाँ है॥ 

आज प्रण पूरा करें फिर वक़्त आया,
शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया ॥ 

कोटि कर बलिदान कठिनाई से पाया ,
शुभ दिवस है आज आज़ादी का आया॥ 



डॉ . ओ.पी व्यास गुना म. प्र भारत 

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