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25 जन॰ 2014
बस वे ही समस्याएं- भर्तृहरी शतक
भर्तृहरी
शतक से .....काव्यानुवाद
बस वे ही समस्याएं
इस धरती पर है कई बार आ आ के गया है, राम राज।
फिर भी मानंव निज हरकत से, आया ना कभी भी तो है बाज॥
कितने अच्छे सज्जन जन से, इस धरती का है सजा साज।
फिर भी तो वे ही समस्या हैं, जो कल भी थीं बस वे ही आज॥
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