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22 जन॰ 2014

कुछ कविताओं की ध्रुव पंक्तियाँ

डॉ .ओ .पी .व्यास ...गुना म .प्र. की  कुछ कविताओं की ध्रुव पंक्तियाँ .....

नों दिन भैया खूब मनाई हमने नों दुर्गा ।

    दसवें दिन दारू को पी के काटे सों मुरगा ॥
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ज़िंदे में तो देते नहीं हें माता पिता को खाने ।

 मरने के बाद पीछे , पीछे फेंकत चले पीछे पीछे मखाने ॥
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पत्नी जी के लिए पति हैं मात्र एक बस घोड़ा । 


अजी बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा ॥ 
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आया अब शादी का मौसम होगी धूम धड़ाक  जी।
देव उठान की, की खोलेगी बंद पड़े जो लाक जी॥ 
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद