डॉ .ओ .पी .व्यास ...गुना म .प्र. की कुछ कविताओं की ध्रुव पंक्तियाँ .....
दसवें दिन दारू को पी के काटे सों मुरगा ॥
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ज़िंदे में तो देते नहीं हें माता पिता को खाने ।
मरने के बाद पीछे , पीछे फेंकत चले पीछे पीछे मखाने ॥
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अजी बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा ॥
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आया अब शादी का मौसम होगी धूम धड़ाक जी।
देव उठान की, की खोलेगी बंद पड़े जो लाक जी॥
देव उठान की, की खोलेगी बंद पड़े जो लाक जी॥
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