२/११/२०१३ शनिवार
हे दीपावली
हे दीपावली, आज कृपा कुछ, ऐंसी हम पर करना।
मेरे मानस के कोने में, एक दीप दया का धरना॥
कब से, तुमको याद कर रहे थे, सारे जग वाले।
सजा रहे थे , भीतर, बाहर हटा रहे थे, जाले॥
सोच रहे थे , कभी ख़त्म ,हो जायेंगे दिन ,काले ।
जहां रखे जाने हैं , दीपक , साफ़ किये वे आले ॥
अब कोने ,कोने से माँ, अज्ञान तिमिर को हरना।
हे दीपावली, मेरे मानस ०
सत युग के सब , आकांक्षी हैं ,राम राज सब चाहें।
सुख, शान्ति, भ्रातत्व, अहिंसा गीत प्रेम के गायें॥
इस धरती पर यूद्ध ख़तम हों, सब बंधुत्व निभाएं॥
एक दुसरे के सुख दुःख में, सब मिल हाथ बटायें ..
एक दूजे से मिलें प्रेम से, छोड़ देंय यूं डरना॥
हे दीपावली , मेरे मानस ०
एक किरण ही , अगर प्यार की, हे माता ,मिल जाए।
तो प्यारी धरती की बगिया फूलों से खिल जाए॥
अगर समझ सारे, लोगों में और सोच में आये।
तो सारे झगड़े फ़साद किस्सों की बातें रह जाएँ॥
नाम सार्थक हे दीपावली आज यकीनन करना ।
अब तुम आ ही गयी हो माता फिर कहे का डरना ॥
हे दीपावली, मेरे मानस के ।
डॉ . ओ . पी व्यास गुना म. प्र .
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