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14 जन॰ 2014

एक दार्शनिक कुंडली ....स्रष्टि ...डॉ .ओ .पी .व्यास

15...1...2014


कुंडली ...दार्शनिक 
सृष्टि

सृष्टि की गुत्थी जटिल, काऊ नहीं पाई पार । 
ग्यानी मुनी जोगी जती, गए सभी हैं हार॥ 
गए सभी हैं हार, कि यह ब्रह्मांड निराला ।  
जैसा बाहर दिखता, वैसा भीतर आला ॥ 
कह कवि ओ.पी. व्यास, सभी की ओछी द्रष्टि । 
जो जितना गया पार, समझ ली उतनी सृष्टि ॥ 
                             डॉ.ओ .पी.व्यास 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद