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सृष्टि ..
एक आध्यात्मिक कुण्डली ..
सृष्टि की गुत्थी जटिल ,
कोऊ नहिँ पाई पार ।
ज्ञानी मुनि जोगी जती ,
गये सभी हैं हार ।।
गये सभी हैं हार ,
कि यह ब्रह्माण्ड निराला ।
जैसा बाहर दिखता ,
वेंसहि भीतर आला ।।
कह कवि ''ओ . पी. व्यास '' ,
सभी की ओछी दृष्टि ।
जो जितना गया पार,
समझ ली उतनी सृष्टि ।।
डॉ ओ . पी व्यास