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6 मई 2018

(419 ).2 केकीकण्ठ , मोर चन्द्र,हरिताभ नील , आभा वाले । जो हैं ब्राह्मण श्रेष्ठ ,ऋषियों में जो भृगु देव ,चरण चिन्ह शोभा वाले ।।..डॉ . ओ . पी .व्यास

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( 419) ..2
 केकीकण्ठ ,मोर चन्द्र ,हरिताभ नील , आभा वाले ।
 जो हैं ब्राह्मण श्रेष्ठ ,ऋषियों में जो भृगु देव ,उनके चरण चिन्ह शोभा वाले ।।
 वे  कमल नयन पीताम्बर धारी ,परम प्रसन्न सदा रहते । 
जिनके धनुबाण हैं हाथ , सब वानर यूथ हैं साथ , हैं जिनके लक्ष्मण भ्रात , वे श्री जानकी नाथ हैं रघुवर ।
 वे हैं श्री पुष्पक आरूढ़ , राम भगवान , उन्हें प्रणाम निरन्तर ।।..
                                                    श्री राम चरित मानस  उत्तरकाण्ड
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प्रथम श्लोक ,
हिंदी काव्यानुवाद भावानुवाद .
.डॉ . ओ. पी . व्यास                       श्लोक क्र  ( 2 )
कौसलेंद्रपदपदकञ्जमंजुलौ ..
श्री कौशलेंद्र भगवान राम के चरण कमल दो ।
वन्दन करते श्री ब्रह्मा जी शिव जी जिन को ।।
वे पद कमल श्री जानकी कर सरोज जिनपर लालायित ।
मन का भृंग सदा उन चरणों पर ही मोहित ।।
श्लोक क्र .( 3 ) 
कुंद इंदु दर गौर सुन्दरं अम्बिका पतिम भीष्ट सिद्धि दम  । 
कारुणीक कल कञ्ज लोचनम नौमि शङ्कर मन मोचनम।
  कुंद इंदु सम गौर शंख समान सौम्य और सुंदर ।
वे पार्वती पति औघड दानी शिव ,दया करें हम दीनन पर ।।
वे दया भाव रखने वाले शिव ,जिनके कमल समान नेत्र अति सुंदर ।
वे कामदेव से मुक्त करें ,शत शत प्रणाम भोले शङ्कर ।।  
                                 काव्यानुवाद हिंदी डॉ ओपीव्यास ब्लॉग देखिये|
                                      

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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद