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केकीकण्ठ ,मोर चन्द्र ,हरिताभ नील , आभा वाले ।
जो हैं ब्राह्मण श्रेष्ठ ,ऋषियों में जो भृगु देव ,उनके चरण चिन्ह शोभा वाले ।।
वे कमल नयन पीताम्बर धारी ,परम प्रसन्न सदा रहते ।
जिनके धनुबाण हैं हाथ , सब वानर यूथ हैं साथ , हैं जिनके लक्ष्मण भ्रात , वे श्री जानकी नाथ हैं रघुवर ।
वे हैं श्री पुष्पक आरूढ़ , राम भगवान , उन्हें प्रणाम निरन्तर ।।..
श्री राम चरित मानस उत्तरकाण्ड
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प्रथम श्लोक ,
हिंदी काव्यानुवाद भावानुवाद .
.डॉ . ओ. पी . व्यास श्लोक क्र ( 2 )
कौसलेंद्रपदपदकञ्जमंजुलौ ..
श्री कौशलेंद्र भगवान राम के चरण कमल दो ।
वन्दन करते श्री ब्रह्मा जी शिव जी जिन को ।।
वे पद कमल श्री जानकी कर सरोज जिनपर लालायित ।
मन का भृंग सदा उन चरणों पर ही मोहित ।।
श्लोक क्र .( 3 )
कुंद इंदु दर गौर सुन्दरं अम्बिका पतिम भीष्ट सिद्धि दम ।
कारुणीक कल कञ्ज लोचनम नौमि शङ्कर मन मोचनम।
कुंद इंदु सम गौर शंख समान सौम्य और सुंदर ।
वे पार्वती पति औघड दानी शिव ,दया करें हम दीनन पर ।।
वे दया भाव रखने वाले शिव ,जिनके कमल समान नेत्र अति सुंदर ।
वे कामदेव से मुक्त करें ,शत शत प्रणाम भोले शङ्कर ।।
काव्यानुवाद हिंदी डॉ ओपीव्यास ब्लॉग देखिये|
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