70 ..........
नम्र रहिए , इस तरह ही ,
स्व उन्नयन कीजिए |
दूसरों के गुण को गाकर ,
प्रकट स्व गुण कीजिए ||
सतत परिश्रम ,परोपकार कर ,
कार्य स्वयं का भी साधें |
निन्दित कटु वाणी दुर्जन की ,
क्षमा रज्जू से ही बांधें ||
ऐंसे सतो गुणी पुरुषों का ,
करे कौन नहीं है वन्दन |
आश्चर्य युक्त है चर्या उनकी ,
जैंसे होता है चन्दन ||
[ 70 ]
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नम्र रहिए , इस तरह ही ,
स्व उन्नयन कीजिए |
दूसरों के गुण को गाकर ,
प्रकट स्व गुण कीजिए ||
सतत परिश्रम ,परोपकार कर ,
कार्य स्वयं का भी साधें |
निन्दित कटु वाणी दुर्जन की ,
क्षमा रज्जू से ही बांधें ||
ऐंसे सतो गुणी पुरुषों का ,
करे कौन नहीं है वन्दन |
आश्चर्य युक्त है चर्या उनकी ,
जैंसे होता है चन्दन ||
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