संसार त्रिगुण मयि रस्सी का ,
बुना हुआ है जाल कठिन |
शिव भक्ति शलाका काटेगी ,
यह जाल, आएगा कब वह दिन ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,[ 414 ] ....श्लोक क्र. [ 98 ] ..
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
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