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25 मार्च 2018

[ 412 ] ..श्लोक क्र. [ 96 ] ...चंचल लक्ष्मी , चंचल हैं प्राण ,जीवन और यौवन भी चंचल | संसार चला चल सारा है , बस धर्म एक हीहै निश्चल || डॉ.ओ.पी.व्यास

[ 412 ]
श्लोक क्र. ..[ 96 ] ..
चंचल लक्ष्मी , चंचल है प्राण ,
                   जीवन और यौवन भी चंचल |
संसार चलाचल सारा है ,
                     बस धर्म मात्र ही है  निश्चल |
श्लोक क्र [. 96 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास

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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद