[ 412 ]
श्लोक क्र. ..[ 96 ] ..
चंचल लक्ष्मी , चंचल है प्राण ,
जीवन और यौवन भी चंचल |
संसार चलाचल सारा है ,
बस धर्म मात्र ही है निश्चल |
श्लोक क्र [. 96 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास
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श्लोक क्र. ..[ 96 ] ..
चंचल लक्ष्मी , चंचल है प्राण ,
जीवन और यौवन भी चंचल |
संसार चलाचल सारा है ,
बस धर्म मात्र ही है निश्चल |
श्लोक क्र [. 96 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास
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