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...श्लोक क्र. ..[ 95 ] ...
सम रहते जो शत्रु , मित्र में ,स्वयं अकिंचन कहते हैं |
दान ,दया जिनके मन में है , शांत , दान्त जो रहते हैं ||..
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास ..
सम रहते जो शत्रु , मित्र में , स्वयं अकिंचन कहते हैं |
दान , दया जिनके मन में है , शांत , दान्त जो रहते हैं ||
रखते जो इन्द्रिय संयम , यम और नियम सब करते हैं |
जो रहते संतुष्ट सदा , सुख दुःख को सम हो सहते हैं ||
सभी दिशाएं सुख मय उनको , सुख धारा में बहते हैं |
ऐंसे साधु, देव तुल्य बहुत अल्प जग में हमको मिलते हैं ||
[ दान्त याने इन्द्रिय दमन करने वाले ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
हिंदी काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास
पूज्य पिताजी श्रीमान कँवर लाल भंवर लाल भट्ट जी दफ्तर दार सब भदौरा जागीर प्रधान अध्यापक , ,माता जी श्रीमती राम कुंवर बाई व्यास प्रधान अध्यापिका
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...श्लोक क्र. ..[ 95 ] ...
सम रहते जो शत्रु , मित्र में ,स्वयं अकिंचन कहते हैं |
दान ,दया जिनके मन में है , शांत , दान्त जो रहते हैं ||..
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास ..
सम रहते जो शत्रु , मित्र में , स्वयं अकिंचन कहते हैं |
दान , दया जिनके मन में है , शांत , दान्त जो रहते हैं ||
रखते जो इन्द्रिय संयम , यम और नियम सब करते हैं |
जो रहते संतुष्ट सदा , सुख दुःख को सम हो सहते हैं ||
सभी दिशाएं सुख मय उनको , सुख धारा में बहते हैं |
ऐंसे साधु, देव तुल्य बहुत अल्प जग में हमको मिलते हैं ||
[ दान्त याने इन्द्रिय दमन करने वाले ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
हिंदी काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास
पूज्य पिताजी श्रीमान कँवर लाल भंवर लाल भट्ट जी दफ्तर दार सब भदौरा जागीर प्रधान अध्यापक , ,माता जी श्रीमती राम कुंवर बाई व्यास प्रधान अध्यापिका
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