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21 मार्च 2018

[ 409 ] ..श्लोक क्र . [ 93 ] ..जब मिलते हैं खाने को , रुचिकर और मीठे फल | जब पीने को अति स्वादिष्ट ,मिले अमृत जल |डॉ. ओ.पी. व्यास |

 [409 ]..श्लोक क्र .[ 93 ] ..
जब मिलते हैं खाने को  ,रुचिकर और मीठे फल |
                      जब पीने को अति स्वादिष्ट , मिले अमृत जल ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवादा,
डॉ.ओ.पी.व्यास
जब मिलते हैं खाने  को ,रुचिकर और मीठे फल |
                       जब पीने  को  अति  स्वादिष्ट मिले अमृत जल ||
जब  कर सकते भूमि पर, हम सहज शयन को |
                        जब वल्कल के, सहज वस्त्र को ,आप पहिन लो ||
तब धन मद में चूर ,और उन्मत्त जो दुर्जन |
                         उन अविनय दुर्जन में  करें,  नष्ट  क्यों  जीवन ||
श्लोक क्र. [ 93 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास

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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद