[ 40 8 ] ..श्लोक क्र. [ 92 ] ..ब्रह्म ज्ञान जिनको मिला ,उनको मिला विवेक | निर्मल मति से कर रहे काम एक से एक ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
ब्रह्म ज्ञान जिनको मिला उनको मिला विवेक | निर्मल मति से कर रहे ,काम एक से एक ||
काम एक से एक कठिन तक वे कर लेते | भूषण , वस्त्र , भोग , शैय्या को ठुकरा देते ||
निस्पृह रहते वे सदा , पर हम ऐंसे लोग | जिन पर ना पहिले ही कुछ था ना आगे है योग ||
कुछ भी नहीं पास केवल ,बस पास है इच्छा | पर इच्छा त्यागें नहीं ,कोई कितनी दे शिक्षा ||
श्लोक क्र. [ 92 ] ,
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास
17 . 3 . 19 97 , सोमवार
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भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
ब्रह्म ज्ञान जिनको मिला उनको मिला विवेक | निर्मल मति से कर रहे ,काम एक से एक ||
काम एक से एक कठिन तक वे कर लेते | भूषण , वस्त्र , भोग , शैय्या को ठुकरा देते ||
निस्पृह रहते वे सदा , पर हम ऐंसे लोग | जिन पर ना पहिले ही कुछ था ना आगे है योग ||
कुछ भी नहीं पास केवल ,बस पास है इच्छा | पर इच्छा त्यागें नहीं ,कोई कितनी दे शिक्षा ||
श्लोक क्र. [ 92 ] ,
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास
17 . 3 . 19 97 , सोमवार
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