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21 मार्च 2018

[ 408 ] ..श्लोक क्र. [ 92 ] .. ब्रह्म ज्ञान जिनको मिला , उनको मिला विवेक | निर्मल मति से कर रहे , काम एक से एक || डॉ.ओ.पी.व्यास

[ 40 8 ] ..श्लोक क्र. [ 92 ] ..ब्रह्म ज्ञान जिनको मिला ,उनको मिला विवेक | निर्मल मति से कर रहे काम एक से एक ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
ब्रह्म ज्ञान जिनको मिला  उनको मिला विवेक | निर्मल मति से कर रहे ,काम एक से एक ||
काम एक से एक कठिन तक   वे कर लेते |   भूषण , वस्त्र , भोग , शैय्या  को  ठुकरा  देते ||
निस्पृह  रहते वे सदा , पर  हम ऐंसे लोग |  जिन पर ना पहिले ही कुछ था ना आगे है योग ||
कुछ भी नहीं पास केवल ,बस पास है इच्छा |  पर इच्छा त्यागें नहीं ,कोई कितनी दे शिक्षा ||
श्लोक क्र. [ 92 ] ,
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ. ओ.पी.व्यास
17 . 3 . 19 97 , सोमवार

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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद