[ 407 ] ...श्लोक क्र. [ [ 91 ] ..मानव को जीवन मिला , जीने को सौ साल | उसका ब्योरे वार से ,भैय्या सुन लो हाल |||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
मानव को जीवन मिला , जीने को सौ साल |
इसका ब्योरे वार से , भैय्या सुन लो हाल ||
सुन लो भैय्या हाल , गया आधा सोने में |
उससे आधा याने 25 बुढ़ापे , बाल पने में ||
शेष बचे 25 , गये व्याधिओं और दुःखों में |
धन वानों की सेवा में , और उनके सुखों में ||
बीत गया जल की तरंग सा जीवन चंचल |
फिर प्राणी को सुख का बताओ मिला कौन पल ||
.श्लोक क्र. [ 91 ] ,
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
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भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
मानव को जीवन मिला , जीने को सौ साल |
इसका ब्योरे वार से , भैय्या सुन लो हाल ||
सुन लो भैय्या हाल , गया आधा सोने में |
उससे आधा याने 25 बुढ़ापे , बाल पने में ||
शेष बचे 25 , गये व्याधिओं और दुःखों में |
धन वानों की सेवा में , और उनके सुखों में ||
बीत गया जल की तरंग सा जीवन चंचल |
फिर प्राणी को सुख का बताओ मिला कौन पल ||
.श्लोक क्र. [ 91 ] ,
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
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