[ 373 ]
श्लोक क्र . [ 61 ]
जो जीर्ण हुई कन्था तो क्या ?,
या श्वेत रेशमी वस्त्रों से।
जो एक ही भार्या हो तो क्या?
या कोटि कोटि गज अश्वों से ।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
..डॉ.ओ.पी.व्यास
जो जीर्ण हुई कन्था तो क्या?
,या श्वेत रेशमी वस्त्रों से |
जो एक ही भार्या हो तो क्या? ,
या कोटि कोटि गज अश्वों से ||
मध्यान के अच्छे भोज से क्या? |
या सायं भोजन ही न तो क्या ?। |
जो बहुत अधिक धनवान तो क्या? |
या हो गये हो अति दीन तो क्या? ।|
भव बाधा हारी ,ब्रह्म तेज़ ,
जो उर में, धारण नहीं किया ।
सब व्यर्थ , व्यर्थ , सब व्यर्थ है ये ,
शिव नाम, उच्चारण नहीं किया ।|
श्लोक क्र .[. 61 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
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श्लोक क्र . [ 61 ]
जो जीर्ण हुई कन्था तो क्या ?,
या श्वेत रेशमी वस्त्रों से।
जो एक ही भार्या हो तो क्या?
या कोटि कोटि गज अश्वों से ।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
..डॉ.ओ.पी.व्यास
जो जीर्ण हुई कन्था तो क्या?
,या श्वेत रेशमी वस्त्रों से |
जो एक ही भार्या हो तो क्या? ,
या कोटि कोटि गज अश्वों से ||
मध्यान के अच्छे भोज से क्या? |
या सायं भोजन ही न तो क्या ?। |
जो बहुत अधिक धनवान तो क्या? |
या हो गये हो अति दीन तो क्या? ।|
भव बाधा हारी ,ब्रह्म तेज़ ,
जो उर में, धारण नहीं किया ।
सब व्यर्थ , व्यर्थ , सब व्यर्थ है ये ,
शिव नाम, उच्चारण नहीं किया ।|
श्लोक क्र .[. 61 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
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