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एक मिटटी का परम लघु पिण्ड है धरती |
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास ..
एक मिटटी का परम लघु , पिण्ड है धरती |
घिरी जल रेखा से , केवल ढेर है मिटटी ||
और उस पृथ्वी के केवल अंश पर अति अल्प |
राज्य राजा गण अनेकों कर गये अति स्वल्प ||
देखिये सब कितने हैं छोटे और निर्धन नृप |
हें अधम पुरुषो अति धिक्कार है तुमको |
इन्हें दानी कहना क्यों ? स्वीकार है तुमको ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
डॉ.ओ.पी .व्यास
12 / 1 /1997
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