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4 जन॰ 2018

333 / 25 / ..एक मिटटी का परम लघु पिण्ड है धरती | घिरी जल रेखा से केवल ढेर है मिटटी ||भर्तृहरि वैराग्य शतक काव्य भावानुवाद ..डॉ.ओ.पी.व्यास

333 / 25 / ..

एक मिटटी का परम लघु पिण्ड है धरती |

भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास ..
एक    मिटटी का परम लघु , पिण्ड  है धरती |
घिरी     जल   रेखा   से , केवल  ढेर है मिटटी ||
और उस पृथ्वी  के केवल अंश पर अति अल्प |
राज्य राजा गण अनेकों कर गये अति स्वल्प ||
देखिये   सब  कितने   हैं छोटे और निर्धन नृप |
इनसे   क्या ? मांगें, दया  से हृदय जाता कँप ||
हें अधम  पुरुषो   अति   धिक्कार   है तुमको |
इन्हें   दानी   कहना क्यों ? स्वीकार है तुमको ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी .व्यास
12 / 1 /1997

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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद