322 /17 /1 /होता है ज्ञान का जब भी उदय /तब शान्ति प्राप्त होगी निश्चय //
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्यानुवाद ..डॉ.ओ.पी.व्यास
विवेक व्याकोशे....
होता ज्ञान का जब भी उदय |
शान्ति प्राप्त होगी निश्चय ||
तब हो जाती है तृष्णा शान्त |
पर विषयों से फिर हो अशांत ||
विषयों से बढ़ती वह बेहद |
स्पर्श से बढ़े काम का मद ||
हों इन्द्र भले फिर देवराज |
बूढ़े हैं फिर भी नहीं लाज ||
यदि आप चाहते पूर्ण विजय |
करना विवेक होगा उदय ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्यानुवाद डॉ .ओ.पी.व्यास
13/10/19 96
..........................................................................................
322 / 17 /2
जब ज्ञान सूरज का उदय हो गया |
तृष्णा उलूकों का सभी दल सो गया ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्य भावानुवाद
...डॉ.ओ.पी.व्यास
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्यानुवाद ..डॉ.ओ.पी.व्यास
विवेक व्याकोशे....
होता ज्ञान का जब भी उदय |
शान्ति प्राप्त होगी निश्चय ||
तब हो जाती है तृष्णा शान्त |
पर विषयों से फिर हो अशांत ||
विषयों से बढ़ती वह बेहद |
स्पर्श से बढ़े काम का मद ||
हों इन्द्र भले फिर देवराज |
बूढ़े हैं फिर भी नहीं लाज ||
यदि आप चाहते पूर्ण विजय |
करना विवेक होगा उदय ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्यानुवाद डॉ .ओ.पी.व्यास
13/10/19 96
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322 / 17 /2
जब ज्ञान सूरज का उदय हो गया |
तृष्णा उलूकों का सभी दल सो गया ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्य भावानुवाद
...डॉ.ओ.पी.व्यास