[ 315 ] .श्रद्धांजली [ 9 ] ... [ 29 / 9 / 1995 ...
तपो निष्ठ ..स्वर्गीय प्रेम नारायण वशिष्ठ ... स्वर्गवास दि. 14- 9 - 1995 ] ..
काव्यांजलि ..डॉ.ओ.पी.व्यास
[ 1 ]
जो कर्म निष्ठ थे और योगनिष्ठ थे |
ऐंसे श्रीमान प्रेम नारायण वशिष्ठ थे ||
[ २ ]
नारायण और प्रेम का ,अद्भुत मिल्न हुआ |
प्रेम ही नारायण रूप है, ऐसा चलन हुआ ||
[ 3 ]
नर में थे नारायण , और विशिष्ट थे |
ऐंसे श्रीमान प्रेम नारायण वशिष्ठ थे ||
[ 4 ]
" राम चरित मानस " जिनके जीवन का अंग था |
प्रभु की भक्ति सेवा का ही बस एक रंग था ||
[ 5 ]
निडर , साहसी , सादा जीवन , तपो निष्ठ थे |
ऐंसे सब के पूज्य श्रीमान प्रेम नारायण वशिष्ठ थे ||
[ 6 ]
महावीर ,शिव ,पुरुषोत्तम ,रमेश से जिन के सूत थे |
कथनी करनी एक , और जो , साहस अदम्य थे ||
[ 7 ]
ऐंसे सर्व शुभ चिंतक , सर्व हित चिंतक विशिष्ट थे |
ऐंसे तपो निष्ठ श्रीमान प्रेम नारायण वशिष्ठ थे ||
[ 8 ]
अश्रुपूर्ण काव्यांजलि " व्यास " समर्पित उनको |
दोंनो लोक में ख्याति हुई अर्पित जिनको ||
[ 9 ]
फूले , फले बाग़ , उनके ,महाकाल इष्ट थे |
ऐंसे तपो निष्ठ , श्रीमान प्रेम नारायण वशिष्ठ थे ||
[10 ]
सभी जिन्हें प्रेम से कहते " गुरु जी " " गुज्जी" |
विद्या ,भक्ति जीवन निधि ही , एक मात्र थी पूँजी ||
न्याय और सच्चाई के हित , जिन की वाणी गूंजी |
" व्यास" काव्य के सुमन समर्पित सर्व प्रिय हें गुरूजी ||
---------डॉ.ओ.पी व्यास
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