माँ
सोचो , सोचो , सोचो सोचो |
समझो , समझो ,समझो ,समझो ||
माँ का शब्द कहां से आया |
बछड़ा गाय का जब रम्भाया ||
उसने ही यह शब्द सुनाया |
उससे माँ का शब्द है पाया ||
इसीलिए गौ को माँ कहते |
हम उसके बछड़े से रहते ||
गहराई से इसको समझो |
ओ माता के अरे लाडलो ||
जो पाले है , जो पोषे है |
कभी नहीं तुमको कोसे है ||
जिसमें अति संतोष भरा है |
नहीं चाहती कभी बुरा है ||
वही तो माँ होती है समझो |
माँ की सेवा करना सीखो ||
जो पैदा करती वो माँ है |
जो पाले है वो भी माँ है ||
जिस धरती पर हम रहते हैं |
इसीलिए माता कहते हैं ||
जितने भी अपने शुभ चिंतक |
जो माता वत हैं उत्प्रेरक ||
गंगा , गीता , गायत्री को |
शुचिता ,सविता , सावित्री को ||
इन सबसे रिश्ता है माँ का |
[ डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.}
14 / 5 / 2017 रविवार