यह पढाई है अनोखी , जो बिना आवाज़ है...
यह पढाई है अनोखी जो बिना आवाज़ है |
रहना चुप और याद करना मन्त्र का यह राज़ है ||
मन्त्र यह परमात्मा का ,नशा उसका चढ़ रहा |
चलन रॉयल हुई नशे में,ज्ञान हम में बढ़ रहा ||
मुख से बोली हो गई कम , फ़ालतू बातें नहीं |
रत्न मुख से लगे झरने ,जगत से नाते नहीं ||
पाठ नियमों से पढो सब ,ज्ञान से मत गुम रहो ||
वाणी से भी परे जाने की करो प्रेक्टीस सदा |
गीत और संगीत छोड़ो , ज्ञान की ले लो गदा ||
मत उदासी में रहो अब , बाबा का सब साज है |
ख़ार यादों से निकालो , याद का ही काज है ||
यह पढाई है अनोखी , जो बिना आवाज़ है |
रहना चुप और याद करना , मन्त्र का यह राज़ है ||
[ यह रचना ब्रह्मा कुमारी आश्रम की ज्ञान मुरली पर आधारित है|][ 19/9/1999 रविवार ...बी.के. डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र. भारत ]
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