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4 जन॰ 2017

[ 109 ]पुरुष होंय गम्भीर कभी भी खोते नहीं हैं धीरज | चाहे कष्ट कोई भी होवे ,करते नहीं हैं अचरज ||

भर्तृहरि नीति शतक श्लोक क्र.[ 109 ]
काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास


पुरुष होंय गम्भीर, कभी भी, खोते नहीं हैं धीरज|
चाहे कष्ट कोई भी होवे, करते नहीं हैं अचरज||
जैंसे अग्नि की ज्वाला को, कर दें भले ही नीची|
मगर धीर पुरुष के जैंसी, जाती हर दम ऊंची|| [ 109 ]

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद