भर्तृहरि नीति शतक श्लोक क्र.[ 100 ]
काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास
अच्छा बुरा कर्म जो भी हो, प्रथम विचार करो विद्वान् |
भली भांति परिक्षण कर लो, गुण दोषों को लीजिए जान ||
बिना विचारे जो भी करते, जल्द बाजी में जो कर्म |
मृत्यु पर्यन्त वे चुभें वाण से, बिंध जाता है उर का मर्म ||
[100 ]
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