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12 सित॰ 2016

[ १७ ] तृण समान लक्ष्मी जिन्हें , कभी ना उसके दास | मद स्रावित गजराज के , जाय ना अंकुश पास ||

[  १७  ]

तृण  समान लक्ष्मी जिन्हें ,
                           कभी ना  उसके  दास |
मद स्रावित गज राज के ,
                            जाय ना अंकुश पास ||

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद