144 श्लोक क्र. ..8 ...
मैं मद मैं मदमस्त था ,
ज्यों मदोन्मत्त गजराज |
मानो मैं सर्वज्ञ हूँ ,
पूर्ण हूँ ज्ञानी आज ||
पर ज्ञान हुआ यथार्थ जब ,
कर विद्वानों का साथ |
गर्व का ज्वर उतरा त्वरित ,
मैं था मूरख नाथ ||
मैं मद मैं मदमस्त था ,
ज्यों मदोन्मत्त गजराज |
मानो मैं सर्वज्ञ हूँ ,
पूर्ण हूँ ज्ञानी आज ||
पर ज्ञान हुआ यथार्थ जब ,
कर विद्वानों का साथ |
गर्व का ज्वर उतरा त्वरित ,
मैं था मूरख नाथ ||