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4 जन॰ 2015

नव वर्ष ...कविता [ डॉ. ओ.पी . व्यास ....प्रखर सूर्य सा चमक दिखाता आया है नव वर्ष | विगत दिनों की छाया पर अब क्यों हो अधिक विमर्श ||

                               नव  वर्ष
                  प्रखर सूर्य सा चमक दिखाता आया है नव नर्ष|

विगत दिनों की छाया पर, अब क्यों हो अधिक विमर्श||

                      [ १ ]
जो गुज़र गया सो गुज़र गया, अब उसको गहरा गाड़ें|
जो भी  धूल लगी वस्त्रों पर,   उसको उठ कर झाडें||
छोड़ो कल की बात पुरानी, क्यों वे आएं  आड़े|
नया सूर्य   क्या प्रगति ला रहा, अब भविष्य को ताड़े||

नई प्रगति हो , नई सुमति  हो, हो सब का  उत्कर्ष|
नई   दिशा   में   बढे  विश्व, यह   चाहे भारत वर्ष ||

                  [ २ ]
केवल मात्र हमारी  अपनी उन्नति  को ना ताकें|
आज विश्व की सभी समस्या, को भी हम सब झांके||
सब का कष्ट  दूर  होगा तो  , अपनी उन्नति आंकें|
विश्व बन्धुत्व का पाठ पढ़ें , तब सुत हैं, भारत  माँ  के||

खत्म  विश्व  से हो जाएँ ये,  सारे ही संघर्ष|
मेरा तेरा ना हो, सब को, सब कुछ  देंय सहर्ष ||
चाह "व्यास" की आज  यही है, सभी तरफ हो हर्ष||

प्रखर  सूर्य सा चमक दिखाता आया है नव  वर्ष |
विगत  दिनों की छाया पर, अब क्यों हो अधिक विमर्श ||

        [डॉ. ओ. पी. व्यास  गुना  म.प्र.]
                १.१. २०१५  गुरुवार
                                       

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