गीतांजलि [गुरुदेव श्री रविन्द्र नाथ जी टैगोर भावानुवाद...डॉ.ओ.पी. व्यास गुना म.प्र.१४.९.१९९८]
अंतिम गायन के गाने में, समय
अभी कुछ शेष है .
अंतिम गायन के गाने में, समय अभी कुछ शेष
है।
तब तक शायद गा ही लूँगा, वह जो
सभा विशेष है॥
[ १ ]
रुंधा कण्ठ है ,रोक रहा है कौन।
कहीं हठात , मैं हो ना जाऊं मौन||
शायद
तान रागिनी होवे , वह ही तो उद्देश्य है|
अंतिम गायन के गाने में ,समय
अभी कुछ शेष है|
तब तक शायद गा ही लूँगा ,वह जो सभा विशेष
है||
[ २ ]
जब आएगा, संध्या का सोपान|
व्यथा प्रेम, तानेगी
स्वर्ण, वितान ||
तब तक शायद कर ही दूंगा, अपनी गीतिका पेश है
|
अंतिम गायन के गाने में, समय अभी कुछ शेष है |
तब तक शायद गा ही लूँगा, वह जो सभा विशेष है||
[भावानुवाद
...डॉ.ओ.पी. व्यास गुना म. प्र.]
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