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11 अग॰ 2014

अंतिम गायन के गाने में ....गीतांजली ...भावानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास

गीतांजलि [गुरुदेव श्री रविन्द्र नाथ जी टैगोर भावानुवाद...डॉ.ओ.पी. व्यास गुना म.प्र.१४.९.१९९८]

अंतिम गायन के गाने में, समय अभी कुछ शेष है .

      अंतिम गायन के गाने में, समय अभी कुछ शेष है। 
          तब तक शायद गा ही लूँगा, वह जो सभा विशेष है॥
                        [ १ ]
रुंधा कण्ठ है ,रोक रहा है कौन। 
                 कहीं हठात , मैं हो ना जाऊं मौन||
      शायद  तान  रागिनी  होवे , वह ही तो उद्देश्य है|
                 अंतिम गायन के गाने में ,समय अभी कुछ शेष है|
      तब तक शायद गा ही लूँगा ,वह जो सभा विशेष है||
                     [ २ ]
     जब आएगा, संध्या का सोपान|
       व्यथा प्रेम, तानेगी स्वर्ण, वितान ||
    तब तक शायद कर ही दूंगा, अपनी गीतिका पेश है |
                अंतिम  गायन के गाने में, समय अभी कुछ शेष है |
    तब तक शायद गा ही लूँगा, वह जो सभा विशेष है||
                          [भावानुवाद ...डॉ.ओ.पी. व्यास गुना म. प्र.]
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद