कविता ...
पानी क्यों इतना बहते हो ? [डॉ.ओ.पी.व्यास ]
पानी
क्यों इतना बहते हो ?
कष्ट
अनेकों क्यों सहते हो ?
किसी
तालाब ,झील में रुक कर,
क्यों
आराम नहीं करते हो?
जल
उवाच
प्रश्न आपका है अति सुंदर।
उत्तर
नहीं सूझता अंदर॥
पूंछा
झीलों,तालाबों से।
क्या
जीवन है आपका सुख कर ॥
बोले
कूप, तालाब ,झील यह,
अगर
नहीं आओ जो तुम बह ॥
केवल
चिन्ह से शेष रहेंगे,
जैसे
किले हो गये ढह कर ॥