कहा तुमने सुनाओ गीत ....
गीतांजली [गुरुदेव श्री रविन्द्र नाथ जी टैगोर ]
[ भावानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]
गीतांजली [गुरुदेव श्री रविन्द्र नाथ जी टैगोर ]
[ भावानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.]
कहा तुमने सुनाओ गीत ,मेरी आईं भर आंखें।
हिलोरें लेने लग गये भाव ,मानो खिल गयीं पांखें॥
[१]
लगे बजने ह्रदय के तार , हो गई आत्मा झंकृत।
सुधि में आ गये मेरे , रस के बोल वे अमृत॥
जैसे झूले सावन में , लचक जातीं हैं ज्यों शाखें।
कहा तुमने सुनाओ गीत , मेरी आयीं भर आँखें॥
हिलोरें लेने लग गये भाव , मानो खिल गयीं पांखें॥
[२]
मधुर , कटु , तिक्त जीवन के , सब अनुभव उभर आये।
वे सब शब्द बन कर आज , कागज पर उतर आये*॥
चहक उठा , पखेरू मन , मानो पा गया दाखें।
कहा तुमने , सुनाओ गीत ,मेरी आयीं भर आँखें॥
हिलोरें लेने लग गये भाव ,मानो खिल गयीं पांखें..
[ डॉ. ओ. पी व्यास गुना म.प्र.]
*[वे सब स्वर बने , और आज सरगम पर उतर आये.]