होली
हैं वे किसी के और किसी के साथ में होली।
शकल भोली है ,झोली में मगर है भंग की गोली।
अजब है चाल में मस्ती ,अजी हर बात में होली ॥
जो कल तक मिल नहीं सकते थे दिन के उजाले में।
वो सुनते हैं मनाते हैं आजकल रात में होली॥
वो जीते हैं होली को ,वो पीते हैं होली को ।
घुसी नस नस में है होली ,अजी हर जात में होली ॥
जो रूठे थे जनम भर के ,जो बैठे थे कसम करके।
गिले शिकवे गये हैं भूल , आई मुस्कात में होली॥
अमलताशों पे है होली ,पलाशों पर भी है होली.
फूले झूमते कचनार हैं ,है अब हर पात में होली॥
करें है आस , निकले फ़ांस ,रही जो आंस जन्मों से ।
मिटे वो प्यास ,कहता ''व्यास '' हो हर गात में होली॥