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26 फ़र॰ 2014

कविवर श्री राम चंद्र शर्मा प्रदीप जी ....डॉ.ओ .पी . व्यास गुना म .प्र.

कवि वर श्री राम चंद्र शर्मा प्रदीप जी


हे औदीच्य रत्न युग पुरुष कवि । अद्भुत जन जन में तेरी छवि ॥ 
होता है  अस्त  यह   . प्रखर रवि ।  होगा ना अस्त यह दीप कभी ॥ 
दिग  दिगंत, युग  युग  भासित ,इस  प्रदीप्त  सविता  की  सवि ॥  
वह  लघु  ग्राम  वड  नगर  हुआ  ,यह  होनी  ही थी उसकी भवि ॥
यह   नगर   बड़ा   या   कवि   बड़ा ,अब सोच रहे हैं आज सभी ॥
हो गया सुशोभित औदीच्य बंधु, वर्ष 90 का अंक देखा जो अभी ॥
 धर्मेंद्र   धन्य, मनमोहन   जी ,  डॉ .  ओम    ठाकर     हुए  तभी ।
कहता है '' व्यास '' हो हर अंक खास।  करते हैं आस ,ज्ञाति बंधु जभी॥
                             डॉ .ओ.पी.व्यास गुना म .प्र. 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद