गीत ...
हवा ही जिसकी हंडी हो । शमा वो कैसे ठंडी हो ॥...
[1 ]
घूमते रहें भले तूफ़ान ।
डाल सकते ना वे व्यवधान ॥
नाव वो कभी नहीं डूबे ।
देखने वाला ही ऊबे ॥
आंधियाँ बनें नर्तकी सी ,
चाहे कितनी अंधी हो ॥
हवा ही जिसकी हंडी हो ।
शमा वो कैसे ठंडी हो ॥
[ 2 ]
नीति के निपुण करें निंदा ।
चाहे करदे अनुशंसा ॥
लक्ष्मी रहे ,चाहे जाए ।
मृत्यु अभी ,कभी आए ॥
न्याय के पथ को ना त्यागें ।
नहीं कर्तव्यों से भागें ॥
धीर वे वीर जो डट जाएँ ,
रक्षक उनकी चंडी हो ॥
हवा ही जिसकी हंडी हो ।
शमा वो कैसे ठंडी हो ॥
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[ विशेष ... यह गीत उर्दू के प्रसिद्ध दो शेर तथा संस्कृत के भर्त्रहरी शतक के प्रसिद्ध श्लोक का मजमुआ है ॥...डॉ .ओ.पी.व्यास ]