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26 दिस॰ 2012

हे त्रिलोचन ...काव्यानुवाद

हे त्रिलोचन .... [काव्यानुवाद ].

हे त्रिलोचन .... [काव्यानुवाद ].

.शिव  महिम्न स्तोत्र .
.डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.
हे त्रिलोचन, सिंधु से , घोर विष, निकाला हलाहल ।

देव , दानव किसी  को    जब  मिला कोई नहीं ह्ल ॥


पूर्ण   जब   संसार   के   विध्वंश  का  भय  हो   गया ।

नाश असमय विश्व का होना ही जब तय हो गया ॥


तब आपने ही हे महेश्वर काल विष का पान कर ।

रक्षा करी संसार की विध्वंश का ही ध्यान कर ॥


नील क्ंठेश्वर प्रभु का नाम तब से पड़ गया ।

पर्याय में शिव नाम के जो मोतीओं सा जुड़ गया ॥
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद