हिंदी कविता
घडी कोंन वह शुभ आएगी।जब हिंदी पूजी जाएगी --डॉ.ओ.पी.व्यास.
घडी कोंन वह शुभ आएगी] जब हिंदी पूजी जाएगीA
जिसका उद्गम संस्कृत भाषा] भारत के जन जन की आशा A
सुंदर स्वर और व्यंजन वाली] पूर्ण करे भाषा परिभाषाA
सुंदर स्वर और व्यंजन वाली] पूर्ण करे भाषा परिभाषाA
आज नहीं तो कल दिन होगा ] जब सर्वोत्तम पद पायेगीA
घडी कोंन वह शुभ आएगी ] जब हिंदी पूजी जाएगीA
जैसा लिखते वैसा पढ़ते] सुन्दर मोती अक्षर गढ़तेA
वीणा वादिनी की माला में] हीरे मोती जैसे जड़ते A
आज नहीं तो कल दिन होगा]जब ध्वजा कीर्ति की फहराएगीA
घडी कोंन वह शुभ आएगी] जब हिंदी पूजी जाएगी A
तुलसी सूर कबीरा मीरा मानक मोतीनीलम हीराA
कोई नहीं बराबर इसके गहरी पैनी धीर गम्भीराA
एक दिवस निश्चित आएगा कीर्ति जब जग में छाएगीA
घडी कोंन वह शुभ आएगी जब हिंदी पूजी जाएगी A
डॉ .ओ.पी. व्यास नई सड़क गुना म.प्र भारत
-नोट ---यह रचना रेलवे युनियन भोपाल की हिंदी पत्रिका में प्रकाशित हुई है
--e मेल dropvyaspoet@gmail.com
घडी कोंन वह शुभ आएगी ] जब हिंदी पूजी जाएगीA
जैसा लिखते वैसा पढ़ते] सुन्दर मोती अक्षर गढ़तेA
वीणा वादिनी की माला में] हीरे मोती जैसे जड़ते A
आज नहीं तो कल दिन होगा]जब ध्वजा कीर्ति की फहराएगीA
घडी कोंन वह शुभ आएगी] जब हिंदी पूजी जाएगी A
तुलसी सूर कबीरा मीरा मानक मोतीनीलम हीराA
कोई नहीं बराबर इसके गहरी पैनी धीर गम्भीराA
एक दिवस निश्चित आएगा कीर्ति जब जग में छाएगीA
घडी कोंन वह शुभ आएगी जब हिंदी पूजी जाएगी A
डॉ .ओ.पी. व्यास नई सड़क गुना म.प्र भारत
-नोट ---यह रचना रेलवे युनियन भोपाल की हिंदी पत्रिका में प्रकाशित हुई है
--e मेल dropvyaspoet@gmail.com