हिंदी गीतिका
संकोच ,लज्जा ,हास को मिश्रित किया गया।
फिर तूलिका से आप को चित्रित किया गया ।।
चंपा , जूही ,कचनार ,कमल और गुलाब से ।
मखमली ,कोमल बदन निर्मित किया गया ।।
मुस्कान ,मदिर ,मधुर ,मोनालिसा से ले।
सोंदर्य अप्रतिम को यूं चिन्हित किया गया।।
पीड़ा,तपन ,दुःख ,शोक ,थकन और तनाव को।
आ जाएँ कहीं ना ,उन्हें वर्जित किया गया।।
विश्वास और श्रद्धा का,स्व भाव ले,
रचना को देव अंक में अर्पित किया गया ।।
संकोच ,लज्जा ,हास को मिश्रित किया गया।
फिर तूलिका से आप को चित्रित किया गया।।
... डॉ . ओ. पी .व्यास
[ नोट =-उपरोक्त हिंदी गीतिका की प्रेरणा खुमार बाराबंकी साहब की प्रसिद्ध गजल के ,मतले से [ध्रुव पंक्तियों से] ली गयी है।
"झुंझलाए हैं,, लजाये हैं ,फिर मुस्कुराये हैं / किस ऐहतमाम से वे हमें याद आये हैं "
डॉ . ओ.. पी. व्यास गुना म.प्र. भारत --ब्राम्पटन ओंटारियो कनाडा निवास(१/५/२०११) के समय लिखी गई।
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